बीसीसीआइ के अध्यक्ष पद से हटने जा रहे दादा का छलका दर्द सौरव ने भविष्य में इससे भी बड़े काम करने का दिया संकेत सौरव ने कहा-कोई भी हमेशा के लिए क्रिकेटर या प्रशासक बना नहीं रह सकता।
कोलकाता क्राइम इंडिया संवाददाता। बीसीसीआइ के अध्यक्ष पद से हटने को लेकर ‘दादा’ का दर्द आखिरकार छलक उठा। उन्होंने गुरुवार को पहली बार इसपर मुंह खोलते हुए कहा कि कोई भी जिंदगी भर क्रिकेटर या प्रशासक बना नहीं रह सकता, हालांकि अपने जोश और जज्बे के लिए परिचित सौरव गांगुली ने भविष्य में इससे भी बड़े काम करने के भी संकेत दिए। कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में सौरव ने कहा-‘कोई भी हमेशा के लिए क्रिकेटर या प्रशासक बना नहीं रह सकता। मेरे लिए दोनों ही बेहद शानदार रहा है। मैं बंगाल क्रिकेट संघ और बीसीसीआइ में प्रशासक रहा हूं और अब कोई और चीज करूंगा। मैं बीसीसीआइ का अध्यक्ष रहा हूं और अब उससे भी बड़ा काम करूंगा। सौरव ने कहा-‘क्रिकेटर के तौर पर जीवन इससे कहीं ज्यादा कठिन था लेकिन देश के लिए खेलना मेरी जिंदगी के सर्वोत्तम दिन थे। ये वो दिन थे, जब नींद से उठने पर सोचता था कि मुझे टीम से बाहर किया जाता सकता है। वह बतौर कप्तान सिर्फ अपना नहीं बल्कि साथी खिलाडिय़ों का करियर बनाने का भी समय था। आप अपने लिए क्या हासिल करते हैं, उससे कहीं ज्यादा यह मायने रखता है कि आप दूसरों के लिए क्या विरासत छोड़ रहे हैं। जब मैं कप्तान था, तब मानों छह कप्तान टीम की कप्तानी करते थे। टीम के चयन में मैं उन सभी के सुझाव लेता था। लोग सिर्फ इसलिए याद नहीं करते कि आपने रन बनाए हैं, दूसरी चीजों के लिए भी याद करते हैं कि एक नेतृत्वकर्ता के तौर पर उनके लिए आपने क्या किया है। सौरव ने बीसीसीआइ अध्यक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल की उपलब्धियां भी गिनाईं। उन्होंने कहा-‘हमने कोरोना महामारी के कठिन समय में आइपीएल का सफलतापूर्वक आयोजन कराया। कामनवेल्थ गेम्स में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने रजत पदक जीता और भारतीय पुरूष क्रिकेट टीम ने विदेशी धरती पर अविश्वनसीय सफलता हासिल की। दादा ने आगे कहा-‘मैं इतिहास में विश्वास नहीं करता लेकिन अतीत में यह भावना थी कि पूर्वी क्षेत्र में उच्च स्तर पर खेलने के लिए प्रतिभाओं की कमी है। आप एक दिन में नरेंद्र मोदी या अंबानी नहीं बन सकते, आपको वहां पहुंचने के लिए महीनों और सालों काम करना पड़ता है।
Edited By : Rahman