फतेहाबाद, क्राइम इंडिया संवाददाता : फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज व अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलवंत सिंह ने टोहाना में हुए एक दुष्कर्म के मामले में आरोपित को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है और साथ ही एक महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की है। न्यायधीश ने अपने फैसले में कहा है कि कोई अकेला व्यक्ति एक हाथ से सशक्त महिला का मुंह दबाकर दुष्कर्म नही कर सकता। ऐसा नही हो सकता कि एक हाथ से इतना मुंह दबा दिया जाए कि महिला अपने बचाव के लिए चिल्ला भी नही पाई हो। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ये मामला सहमति से रिलेशनशिप का लग रहा है और मामला खुलने पर दुष्कर्म के आरोप लगवा दिए गए। गौरतलब है कि 26 जून को टोहाना की 36 वर्षीय एक महिला ने अपने पड़ोसी बलविन्द्र के विरूद्ध पुलिस को शिकायत दी कि 5 और 6 अप्रैल 2021 को उसके पड़ोस में रहने वाले बलविन्द्र ने रात को उसके घर घुस दुष्कर्म किया। महिला ने कहा कि रात करीब 10-11 बजे उसने घर के आंगन में किसी के कूदने की आवाज सुनी तो वह कमरे से बाहर निकली तो पाया कि आंगन में बलविन्द्र खड़ा है। आरोप था कि बलविन्द्र उसके पास आया और उसका मुंह दबाकर उसे कमरे में ले गया और दुष्कर्म कर दिया। दूसरे कमरे में उसकी दो बेटियां सोई हुई थी तथा पति जो टाटा एस चलाता है, शहर से बाहर था। महिला ने ये भी कहा कि अगले दिन इसी तरह बलविन्द्र फिर उसके घर आया और जबरन दुष्कर्म किया तथा धमकी दी कि यदि किसी को बताया तो उसके परिवार के सदस्यों को मरवा देगा। पीडि़ता ने अढ़ाई महीने बाद थाने में शिकायत दी और कहा कि वह घटना से परेशान व डरी हुई थी इसलिए शिकायत करने में देरी हुई।कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कहा कि यह मामला आपसी सहमति का लगता है क्योकि जब पहली बार शोर सुनकर महिला कमरे से बाहर निकली तो उसे आंगन में खड़े व्यक्ति को देखकर चिल्लाना चाहिए था ताकि वह अपनी बेटियों व सम्पति की रक्षा कर पाती लेकिन वह नही चिल्लाई। उसका कहना है कि बलविंद्र ने एक हाथ से उसका मुंह दबोच लिया और कमरे में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। कोर्ट ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है कि एक व्यक्ति एक हाथ से सशक्त महिला का मुंह दबाए रखे और दुष्कर्म भी कर डाले और महिला विरोध भी नही करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मेडिकल रिपोर्ट में भी महिला के प्राइवेट पार्ट पर कोई चोट नहीं है। पीडि़ता का आरोप है कि अगले दिन बलविद्र फिर आया और दुष्कर्म किया। कोर्ट ने कहा यदि महिला डरी हुई होती तो वह अगले दिन अपने कमरे को अंदर से बंद कर लेती ताकि कोई उसके कमरे में न घुस पाए। कोर्ट ने कहा शिकायतकत्र्ता के सारे सबूतों में झोल ही झोल है, जिनपर विश्वास करना कठिन है इसलिए कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए आरोपी बलविन्द्र को बरी करने के आदेश दिए हैं।
Edited By : Rahman