राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने शिक्षक भर्ती घोटाले में सीबीआइ की जांच की गति को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा वह इस मसले पर गृह मंत्रालय से संबंधित जांचकर्ताओं के नाम मांग सकते हैं। दरअसल इस दिन जस्टिस गंगोपाध्याय ने प्राथमिक टीईटी में ओएमआर शीट से कथित छेड़छाड़ की सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि सीबीआइ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि करीब 12 लाख 95 हजार ओएमआर शीट नष्ट कर दी गईं। करीब 20 लाख उम्मीदवार थे। सिर्फ 12 लाख 95 हजार ओएमआर शीट ही क्यों बर्बाद हुई? इस सवाल के जवाब में जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि जांच की जरूरत है। लेकिन सवाल यह है कि जांच कौन करेगा ? सीबीआइ को पिंजरे में बंद तोता कह सकते हैं। लेकिन अंतत: किसी जांच एजेंसी को जांच का जिम्मा सौंपना पड़ता है। न्यायाधीश ने कहा कि मैंने सुना है कि भर्ती घोटाले मामले में सीबीआइ ने स्कूल शिक्षा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुबीरेश भट्टाचार्य से गत पांच दिनों में पूछताछ नहीं कर सकी है, इसलिए उन्हें जेल भेज दिया गया। आयोग की सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य शांतिप्रसाद सिन्हा के मामले में भी न्यायाधीश ने सवाल उठाया कि अगर सीबीआइ उनसे जानकारी नहीं निकाल सकती तो उसकी हिरासत में रखने का क्या फायदा?
जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि सीबीआइ की क्या भूमिका है, सभी जानते हैं। बाद में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इस बारे में बताया जा सकता है। मैं देश के गृह मंत्रालय से कहूंगा कि अदालत में जांचकर्ताओं का नाम बताएं। मैं सीबीआइ प्रमुख से नाम बताने के लिए कहूंगा। बताते चलें कि न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने हाल ही में राज्य में भर्ती भ्रष्टाचार के कई मामलों की सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं। उन्हें राज्य पुलिस, सीआइडी की जांच प्रक्रिया पर भरोसा नहीं हो रहा था। उन्होंने विशेष जांच दल बनाने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया था। इस बार खुद जज का केंद्रीय जांच एजेंसी की जांच की गति पर से भरोसा उठ गया है।
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